धरती का तापमान जगह-जगह बदलता रहता है, और कुछ क्षेत्रों में गर्मी इतनी अधिक होती है कि जीवन यापन करना लगभग असंभव हो जाता है। गर्मी के मामले में दश्त-ए-लूत, जिसे सामान्यतः लूत रेगिस्तान कहा जाता है, पूरी दुनिया में सबसे आगे है। इस जगह का तापमान इतना अधिक होता है कि यह न केवल इंसानों के लिए, बल्कि अधिकांश जीवों और वनस्पतियों के लिए भी अनुकूल नहीं है।
दश्त-ए-लूत ईरान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित है और यह दुनिया के सबसे शुष्क और गर्म रेगिस्तानों में से एक है। यह क्षेत्र लगभग 51,800 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है और इसे "लूत" के नाम से भी जाना जाता है, जिसका फारसी में अर्थ है "नमक का स्थान"।
नासा के एरथ ऑब्जरविंग सिस्टम (EOS) द्वारा 2003 से 2010 के बीच की गई सैटेलाइट मापों के अनुसार, लूत रेगिस्तान का सतही तापमान 159.3°F (70.7°C) तक पहुंच चुका है। यह तापमान अब तक की सबसे अधिक मापा गया तापमान है, जो इसे पृथ्वी का सबसे गर्म स्थान बनाता है।
हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह मापा गया तापमान सतह का तापमान है, न कि वायु का तापमान। फिर भी, इस प्रकार की गर्मी किसी भी प्रकार के जीवन के लिए प्रतिकूल है।
दश्त-ए-लूत में कई प्रकार की भौगोलिक विशेषताएँ पाई जाती हैं:
यहां की धरती इतनी कठोर है कि गर्मियों के दौरान इसका रंग काला हो जाता है, जो सूरज की किरणों को और अधिक अवशोषित करता है, जिससे सतह का तापमान बढ़ जाता है।
लूत रेगिस्तान की गर्मी के कई कारण हैं:
इन सभी कारणों से यह स्थान अत्यधिक गर्मी से भरपूर होता है और यहाँ जीवन का कोई साधन बहुत कठिन है।
लूत रेगिस्तान की कठिन परिस्थितियाँ इसे जीवों के लिए लगभग असंभव बनाती हैं। यहाँ बहुत कम वनस्पति और जीव पाए जाते हैं। हालाँकि, कुछ अध्ययनों ने यह सुझाव दिया है कि सूक्ष्मजीवों (माइक्रोब्स) के कुछ प्रकार इस जगह पर जीवित रह सकते हैं, जो इसे विज्ञान के लिए और भी दिलचस्प बनाते हैं।
हालांकि लूत रेगिस्तान विश्व का सबसे गर्म स्थान है, लेकिन कुछ अन्य रेगिस्तान भी बेहद गर्म हैं, जैसे:
लेकिन लूत रेगिस्तान की सतही गर्मी इन सब से कहीं अधिक है।
दश्त-ए-लूत न केवल ईरान का, बल्कि पूरे विश्व का सबसे गर्म स्थान है। इसका अत्यधिक तापमान और शुष्क पर्यावरण इसे एक अनूठी भौगोलिक विशेषता प्रदान करता है। यह स्थान न केवल वैज्ञानिक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसने धरती के मौसम संबंधी पैमानों को भी नए सिरे से परिभाषित किया है।
अंततः, इस प्रकार की कठिन प्राकृतिक स्थितियाँ हमें पृथ्वी की विविधता और इसके विभिन्न क्षेत्रों की जटिलता का अंदाजा लगाती हैं।
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